5 Easy Facts About Shodashi Described

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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

This mantra is definitely an invocation to Tripura Sundari, the deity remaining tackled in this mantra. It's a ask for for her to meet all auspicious wants and bestow blessings on the practitioner.

तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

Worshipping Goddess Shodashi is not merely about searching for substance benefits but will also about the internal transformation and realization of the self.

Her legacy, encapsulated in the vibrant traditions and sacred texts, carries on to guide and inspire All those on The trail of devotion and self-realization.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की click here गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

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